The 12 Dangerous viruses on Earth

The 12 Dangerous viruses on earth: इंसान तब से वायरस virus से जूझ रहा है जब हमारी प्रजाति अपने आधुनिक रूप में विकसित नहीं हुई थी। कुछ वायरल बीमारियों के लिए, टीकों और एंटीवायरल दवाओं ने व्यापक रूप से संक्रमण फैलने से रोकने में मदद की है, और बीमार लोगों को ठीक करने में मदद की है। एक ऐसा ही वायरस है जिसे हम चेचक के नाम से जानते है आज इनका इलाज possible हो गया है। 
 
लेकिन हम वायरस के खिलाफ लड़ाई जीतने के लिए एक लंबा रास्ता तय कर रहे हैं। बीते कुछ दशकों में, कई वायरस जानवरों से मनुष्यों में ट्रांसफर हो गए हैं और बड़े पैमाने पर फैलने वाले प्रकोपों ​​को जन्म दिया है। पश्चिम अफ्रीका में 2014-2016 इबोला  का प्रकोप फैलाने वाला वायरल स्ट्रेन अफ्रीका के 90% लोगों को मौत के घाट उतार दिया। इसलिए इसे इबोला परिवार का सबसे घातक सदस्य बनाते हैं।
 
 
लेकिन और भी अन्य ख़तरनाक वायरस हैं जो समान रूप से घातक हैं। इन्ही virus में Coronavirus भी शामिल हैं, जो वर्तमान में दुनिया भर में फैल रहा हैं। coronavirus भी मानव जाती के लिए एक गंभीर खतरा है। क्योंकि हमारे पास अभी तक इस बीमारी coronavirus से मुकाबला करने के लिए कोई कारगर इलाज उपलब्ध नहीं है।
 
इस बीमारी की तरह ही इतिहास में ऐसे 12 सबसे खतरनाक virus हुए है जो मानव जाती पर भारी पड़े है। ऐसे virus जो लाखों लोगो के मौत का कारण बने है। 

The 12 Dangerous viruses on Earth in Hindi

1. मारबर्ग वायरस
Marburg virus

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Marburg वायरस में बुखार और खून का गिरना इसका 
 प्रमुख लक्षण है। 
 
वैज्ञानिकों ने 1967 में मार्बर्ग वायरस की पहचान की, जब जर्मनी में लैब के कर्मचारियों को इसके लक्षण दिखाई देना शुरू हुऐ। 
 
इस लैब में युगांडा से लाये गए बंदर थे जो मारबर्ग वायरस से संक्रमित थे। ये virus इबोला के समान ही दीखते है इनके लक्षण लगभग एक सामान है। 
 
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो में 1998-2000 तक मृत्यु दर 25% थी, लेकिन 2005 तक इस बीमारी का प्रकोप भूत बढ़ गया था। 

2. इबोला वायरस
Ebola virus

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Ibola virus अफ्रीकी देशो सिएरा लियोन और नाइजीरिया में इसकी शुरुआत हुई। 
WHO ने बताया की इबोला एक वायरल बीमारी है, जिसमे अचानक तेज बुखार, कमजोरी, शरीर में दर्द, कफ, सांस का फूलना इसके शुरुआती लक्षण है। 
 
इसके बाद इस बीमारी का दूसरा स्टेज शुरू होता है जो दर्दनाक है इसमें उलटी, डायरिया और अंदरूनी या बाहरी खून का बहना जिसमे लोगों का बचना मुश्किल हो जाता है। 
 
इबोला virus का संक्रमण इंसानों में जानवरों से होता है जैसे चमगादड़, चिम्पैंजी। 
 
यह बीमारी coronavirus की तरह छूने या किसी संक्रमित व्यक्ती के कांटेक्ट में आने से फैलता है। यहाँ तक की संक्रमण में मारे व्यक्ती के शव को छूने से भी फैलता है। 
 
 

3. रेबीज
Rabies

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रेबीज़ बीमारी रेबीज़ बिषाणु से होता है ये बीमारी जानवरों की है लेकिन ये बीमारी जानवरों से इंसानों में ट्रांसफर हो जाती है। ये बीमारी संक्रमित पशुओं के लार में होती है जो इंसान को काटने के बाद वह व्यक्ति संक्रमित हो जाता है। 
 
और सायद लोगो को पता नहीं है की ये संक्रमण बिना जानवरों के काटने से भी हो सकता है संक्रमित जानवर के कांटेक्ट से यदि उसका लार मुँह, आँखों में या मामूली कटाव स्क्रेच में यदी लार चला जाये तो रेबीज़ हो सकता है। 
 
रेबीज़ कुछ जानवरों जैसे कुत्ता, बिल्ली, चमगादड़, चिम्पेंजी जैसे जानवरों में हो सकता है। रेबीज़ से संक्रमित जानवर के मष्तिष्क पर ये असर डालती है और धीरे धीरे वो जानवर मर जाता है। इसी तरह कोई इंसान रेबीज़ से संक्रमित हो जाता है तो उसकी भी मौत लगभग निश्चित है। 
 
ये बीमारी सचमुच बहुत ख़तरनाक है इसलिए यदि कोई जानवर इंसान को कट्टा है तो डॉक्टर कहते है की 10 दिनों तक जानवर पर नजर रखे यदि जानवर के व्यवहार में बदलाब आता है तो उसे रेबीज़ का टिका लगवा लेना चाहिए। 
 
इस बीमारी के लक्षण दिखने में 1-2 महीने या फिर साल भर का समय भी लग सकता है। 
 
इसके शुरुआती लक्षण:-
 
आलस आना, स्वाभाव में चिड़चिड़ापन आना, अत्यधिक नींद आना
यदि लक्षण आने शुरू हो चुके है तो इंसान का बच पाना मुश्किल हो जाता है। 
 
 “यदि आप इसका इलाज नहीं कराते हैं, तो सत प्रतिशत संभावना है कि आप मर जाएंगे।”
 

4. HIV 

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Human immunodeficiency virus (HIV एचआईवी, हरे रंग में), ये कोशिका को सनकृमित करते हुए। एक इलेक्ट्रॉन स्कैनिंग माइक्रोस्कोप से ये तस्वीर ली गयी है।
 
आज के समय में दुनिया का सबसे घातक वायरस एचआईवी HIV हो सकता है, क्योकि इस बीमारी ने लाखो लोगो को मौत के घाट  उतारा है। 
डॉ. अमेश अदलजा जो की अमेरिका के संक्रामक रोग सोसायटी के एक चिकित्सक और प्रवक्ता है ने कहा।
 
1980 की शुरुआत में  HIV से पहली बार लगभग 32 मिलियन लोगों की मौत हुई थी। “संक्रामक रोग जो मानव जाति पर अभी सबसे जायदा केहर बरपा रहा है जिसका इलाज नहीं है केवल कुछ समय जिंदगी को बढ़ाया जा सकता है दवाई के द्वारा ,वह है एचआईवी”
 
मानव द्वारा इजात किये गए शक्तिशाली एंटीवायरल दवाओं ने लोगों को एचआईवी के साथ वर्षों तक जीना  तो संभव बना दिया है। लेकिन यह बीमारी गरीब या मध्यम-आय वाले देशों में  बहुत बड़ी तबाही मचाती है।
 
WHO के अनुसार अफ्रीका में हर 25 व्यस्क लोगो  लगभग 1 HIV संक्रमित है जो की पूरी दुनिया में सबसे जायदा सेन्सेटिव देश है। 
 
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5. Smallpox – चेचक 

 
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WHO ने 1980 में, दुनिया को चेचक से मुक्त घोषित किया। लेकिन इस घोसणा से पहले, इंसान हजारों सालों तक चेचक से जूझते रहे, ये संक्रमण 3 में से 1 संक्रमित व्यक्ती को मौत के घाट उतार देती है ये बीमारी भी ख़तरनाक है। 

 
जब वेरिओला virus के संपर्क आते है तो उसके 1 से 2 हफ्तों के बाद लक्षण दिखाई देने शुरू हो जाते है। इसके शुरुआती लक्षण में बुखार और आलस है। कुछ केस में मरीज को सर मे दर्द, उल्टियां और गले की खराश की शिकायते भी होती है। फिर इन लक्षणों के 2 से 3 दिन के भीतर मरीज के शरीर का टेम्प्रेचर अचानक गिरने लगता है। और फिर शरीर के कई हिस्सों पर चकत्ते निकल जाते है,  और धीरे धीरे पुरे शरीर में ये चकत्ते हो जाते है। फिर इस चकत्ते में पानी भर जाता है उसके कुछ समय के बाद पपडिया बन कर साफ हो जाती है। 
 
 
चिकेनपॉक्स या चेचक किसी संक्रमित व्यक्ती के स्वसन या फोड़ो के कांटेक्ट में आने से हो सकता है। 
 

6. Hantavirus

 
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Hantavirus pulmonary syndrome (HPS) ने पहली बार 1993 में U.S. मे तबाही मचा दी थी, 
 
Hantavirus बेहद घातक virus है इसका संक्रमण चूहों से होता है। यदि कोई व्यक्ती चूहों के मल-मूत्र या लार को छूता है और फिर उसी हाथ से अपने चेहरे को छूता है तो वह व्यक्ती हन्ता वायरस से संक्रमित हो सकता है। 
 
हन्ता वायरस छूने या खस्ने से एक व्यक्ति से दूसरे में ट्रांसफर नहीं होता। 
 
इस virus से  व्यक्ति  संक्रमित है या नहीं ये पता लगाने में 1 महीने तक का समय लग सकता है। 
 
हन्ता वायरस से संक्रमण के लक्षण :-
 
सर्दी जुखाम, तेज बुखार का आना, शरीर का दर्द, उलटी होना ये सारे इसके लक्षण है 
और इसके  गंभीर लक्षण है फेफड़ों में पानी भरना और सांस लेने में तकलीफ।
 
 

7.इंफ्लुएंजा
Influenza

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इन्फुएन्ज़ा जिसे स्वाइन फ्लू (Swine Flu ) भी कहा जाता है ये बीमारी भी महामारी का कारण बना, और दुनिया भर में 20000 लोग मारे गए थे ।
 
डब्ल्यूएचओ (WHO )के अनुसार, एक सामान्य फ्लू वाले मौसम में, दुनिया भर में 500,000 लोग बीमारी से मर जा सकते है। लेकिन कभी-कभी, जब एक नया फ्लू सामने आता है तो एक महामारी का रूप ले लेता है, जिसके कारण दुनियाभर में मृत्युदर बढ़ जाता है। 
 
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इन्फुएन्ज़ा एक वायरस है जो मौसम के बदलाव के कारण सक्रिय होता है। और ये एक व्यक्ति से दूसरे वयक्ति में फ़ैल सकता है। 
वैसे तो ये फ्लू 1 हफ्ते तक अपने आप ठीक हो जाता है किन्तु कुछ व्यक्ति जिसमे रोग प्रतिरोधक क्षमता काम होती है उनके लिए एक जानलेवा बीमारी का रूप ले लेता है। 
 
इस फ्लू के कुछ लक्षण:-
 
बुखार – इस बीमारी का सबसे पहला लक्षण बुखार का आना है। 
नार्मल बुखार एक से दो दिनों में अपने आप ठीक हो जाता है लेकिन इस बीमारी में 10 दिनों तक बुखार रहता है। 
 
  • खांसी – इस बीमारी में संक्रमित व्यक्ति को शुकी खांसी हो सकती है। 
गले में खराश का होना – इस बीमारी में संक्रमित व्यक्ति लो लम्बे समय तक गले में खराश की शिकायत हो सकती है। 
 
सर में दर्द – बांकी फ्लू की तरह इसमें भी संक्रमित व्यक्ति को सर में दर्द हो सकता है। 
 
  • अत्यधिक कमजोरी होना – इस बीमारी के शुरुआती लक्षण में सनकृमित व्यक्ति को कमजोरी हो सकती है। 
  •  
  • इस प्रकार का एक और फ्लू सामने आया था जिसे स्पेनिश फ्लू कहा जाता था।  ये बीमारी 1918 में शुरू हुआ था और दुनिया की आबादी का 40%जनसंख्या बीमार हो गया था, जिसमें लगभग 50 मिलियन लोग मारे गए थे।

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8. डेंगू
Dengue

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डेंगू बीमारी एक डेंगू वायरस से होता है जो डेंगू मच्छर के काटने से इंसानो में फैलता है। 
 
डेंगू वायरस दुनिया में पहली बार 1950 में फिलीपींस और थाईलैंड के कुछ क्षेत्रों में दिखाई दिया, और तब से ये वायरस दुनिया के कई क्षेत्रों में फैल गया है। 
 
डब्लूएचओ (WHO ) के अनुसार, डेंगू एक वर्ष में 60  से 100 मिलियन इंसानो को बीमार कर सकता है। हालांकि डेंगू बुखार में मरने वालो की संख्या कुछ अन्य वायरस की तुलना में कम है, किन्तु यदि सही समय पर इसका इलाज न किया जाये तो मौत पक्की है। 
 
भारत में इस डेंगू को “हड्डी तोड़ बुखार ” के नाम से भी जाना जाता है क्योकि इस बीमारी में बुखार अधिक होता है और शरीर में बहुत दर्द होता है जैसे की उसकी हड्डी टूट रही हो। 
 
डेंगू के कुछ लक्षण है जैसे –
 
तेज बुखार , शरीर में असहनीय दर्द का होना , लाल चकत्ते ,  सर में दर्द होना ,जोड़ो का दर्द होना। 
 
इसमें कुछ लोगो को अंदरूनी या बहरी रक्त स्त्राव हो सकता है जिसमे सही समय पर इलाज न होने पर इबोला का कारण वन सकता है और संक्रमित व्यक्ति की मौत भी हो सकती है। 
 
डेंगू का अभी तक कोई कारगर वैक्सीन नहीं है , इसलिए इससे बचाव ही इसका इलाज है। 
 
 
 

9. रोटावायरस
Rotavirus

 
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रोटावायरस एक प्रकार का संक्रमण है जो बच्चो में आसानी से फ़ैल सकता है, ये वायरस खास तौर पर बच्चो को होता है। 
रोटावायरस गन्दगी के कारण होता है , यदि कोई बच्चा अपने मूल मूत्र के बाद हाथ सही से नहीं धोता तो वह खाने के साथ मुँह में चला जाता है और बच्चो को बीमार कर देता है। 
 
रोटावायरस के कुछ लक्षण –
 
दस्त होना , उलटी होना ,बुखार और पेट में अत्यधिक दर्द होना। डायरिया की बीमारी रोटावायरस के कारण ही होता है। 
 
 
 
हालाँकि अब  बच्चों को रोटावायरस से बचाने के लिए दो टीके मौजूद हैं-
 
1 रोटरिक्स नाम का ये वैक्सीन 6 – 12 सप्ताह के बच्चो को दो खुराक देना चाहिए। 
2. रोटा टेक नाम का ये वैक्सीन 6 – 12  सप्ताह के बच्चो को तीन खुराक देना चाहिए। 
 
 
WHO का कहना है कि दुनिया में  2008 में 5 साल से कम उम्र के 453,000 बच्चों की मौत रोटावायरस के संक्रमण से हुई थी।
 

 

10. सार्स-cov
SARS-CoV 

 
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WHO के अनुसार SARS 2002 में चीन के गुआंगडोंग प्रांत में दिखाई दिया था। ये वायरस चमगादड़ से आया है चीनी लोगो के चमगादड़ खाने के कारण ये वायरस चमगादड़ से इंसानो में फ़ैल गया। धीरे धीरे ये पुरे चीन में एक महामारी ला दी चीन के बाद ये SARS दुनिया भर के 26 देशों में फैल गया, 8000 से अधिक लोगों को संक्रमित किया और दो वर्षों के दौरान 770 से अधिक लोगों की मौत हो गई।
 
 सार्स SARS होने के कुछ लक्षण –
बुखार का आना , तेज ठंड लगना और शरीर में दर्द और निमोनिया होने का खतरा होता है। आखिर में फेफड़े में सूजन हो जाते हैं। 
 
 
SARS में मृत्यु दर 9.6% है, और अभी तक इस बीमारी ka 
कोईकारगर इलाज नहीं है। 
सीडीसी के अनुसार इस बीमारी के 2000 के शुरुआती दिनों के बाद से कोई भी नया मामला सामने नहीं आया है।
 
 

11. SARS-CoV-2

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यह संचरण SARS-CoV-2 – 2019-nCoV के रूप में भी जाना जाता है, वायरस जो COVID-19 का कारण बनता है। 
 
SARS-CoV-2 का संबंध वायरस के उसी बड़े परिवार से है, जिसे SARS-CoV कहा जाता है, जिसे कोरोनवीर के रूप में जाना जाता है, और पहली बार दिसंबर 2019 में चीनी शहर वुहान में पहचाना गया था। 
 
ये वायरस चमगादड़ों से उत्पन्न होता है, और लोगों को संक्रमित करने से पहले एक मध्यवर्ती जानवर से गुजरता है।
 
इस वायरस ने चीन के हजारों लोगों और दुनिया भर में हजारों लोगों को संक्रमित किया है।
 
COVID-19 नामक SARS-CoV-2 के कारण होने वाली बीमारी की मृत्यु दर लगभग 2.3% है। जो लोग अधिक उम्र के हैं उनको सबसे अधिक खतरा है। 
 
इसके लक्षण है:-
 
बुखार का आना, सुखी खांसी, और सांस लेने में तकलीफ होना। और यदि ये गंभीर रूप ले लें तो निमोनिया भी हो सकता है। 
 
 

12. Mers-cov

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MERS भी coronavirus के जैसा ही है 2012 में सऊदी अरब में और दूसरा 2015 में दक्षिण कोरिया में फैल गया। 
 
MERS वायरस SARS-CoV और SARS-CoV-2, जैसे वायरस के एक ही परिवार से है। 
 
माना जाता है की ये बीमारी इंसानों में होने से पहले चमगादड़ से ऊँटो को संक्रमित करता है। 
 
इस बीमारी के कुछ लक्षण :- 
 
संक्रमित लोगों में बुखार, खांसी और सांस की तकलीफ हो सकती है। 
 
MERS अक्सर गंभीर निमोनिया में बदल जाते है। इसमें मृत्यु दर 30% से 40% के बीच है। 
SARS-CoV और SARS-CoV-2 की तरह ही MERS का भी कोई इलाज या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। 
 

11 . CORONAVIRUS Covid-19
कोरोना वायरस कोविद-19

 
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2019 में, रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने कोरोनावायरस, SARS-CoV-2 के प्रकोप की निगरानी शुरू कर दी, जो COVID-19 का कारण बनता है। अधिकारियों ने सबसे पहले चीन के वुहान में वायरस की पहचान की थी।
 
तब से, ये वायरस लगभग हर देश में फैल गया है, जिसने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को महामारी घोषित करने पर मजबूर किया।
 
नए कोरोनोवायरस विश्व स्तर पर लाखों संक्रमणों के लिए जिम्मेदार है, जिससे लाखों लोगों की मौतें हुईं है। अमेरिका जैसे विकसित देश में सबसे ज़्यदा मौत हुई है। 
 
COVID-19 जानवरों से इंसानों में ट्रांसमिट हुई है। ये वायरस भी चीन की देन है माना जाता है की ये चीन के वुहान शहर के फिश मार्किट से फैला है। जहाँ बहुत गन्दगी होती है और हर तरह के जानवरो का मांस मिलता है कुत्ते, बिल्ली, सांप, चमगादड़ सभी प्रकार के, एक जानवर का खून दूसरे जानवर के मांस पर लगता है। हो सकता है की किसी संक्रमित चमगादड़ का  खून किसी मांस में चला गया हो। 
 
WHO के अनुसार ये बीमारी ज्यादातर लोगों को नुकसान नहीं पहिचायेगी ये मामूली शर्दी जुखाम और बुखार की तरह ठीक हो जाएगी बिना किसी अस्पताल में भर्ती हुए बस उन्हें खुद को क्वारंटाइन करना होगा 7-14 दिनों के लिए ताकि ये वायरस दूसरों तक ना पहुचे 
 
लेकिन जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होगीं उनको ये बीमारी जानलेवा हो सकती है, खास तौर पर 65 साल के लोगों को सावधान रहना चाहिए। 
 

गंभीरता

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सीडीसी के अनुसार, बच्चों को Covid ​​-19 का अधिक खतरा नहीं है व्यस्को की तुलना में। 
 
गर्वती महिलाओं में COVID-19 का जोखिम अधिक होता है। 
 

COVID-19 के लक्षण: Symptoms of COVID-19:

 
हालांकि इस बीमारी के लक्षण हर व्यक्ती में कुछ अलग अलग हो सकते है। 
बुखार fever, लगातार खांसी, जुखाम, गंध और स्वाद न आना, सांस लेने में तकलीफ होना। 
 
इसका इलाज या कोई टिका अभी तक उपलब्ध नहीं है इस बीमारी से वचाव ही इसका इलाज है। 
खुद को साफ रखे, हर आधे घंटे के अंतराल में हाथ को साबुन से धोते रहे, सेनेटीज़ करते रहे, घर के बाहर मास्क पहने, लोगों से दूरी बना कर रहे। 
 

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तो दोस्तों आपको ये जानकारी कैसी लगी कमेंट जरूर करें।  आपके 1 कमेंट से हमें बहुत प्रोत्साहन मिलता है। 

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