Karwa Chauth 2023: भारत जैसे विशाल देश में बहुत से धर्म और जाती के लोग रहते है। और हिन्दू धर्म में हर महीने कोई न कोई त्यौहार होता ही है। आप शायद जानते होंगे की करवा चौथ क्या है, लेकिन कुछ लोग नहीं जानते और यदि जानते भी है तो कुछ कुछ इसलिए आज मैं आपको करवा चौथ ( karwa chauth ) के बारे में full detail में बताने जा रहा हु ताकि आपको भी पता चल जाये की करवा चौथ क्या है? इसके साथ ही karva chauth images, karva chauth ki katha, karva chauth kab ki hai, karva chauth date ये सब आपको जानने को मिलेगा।
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करक चतुर्थी (करवा चौथ) क्या है? – Karaka Chaturthi (Karwa Chauth) Kya Hai?
हिन्दू धर्म में करवा चौथ विवाहित महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। यह त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के चौथे दिन मनाया जाता है। करवा चौथ को करक चतुर्थी (Karaka Chaturthi) के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की सलामती और लंबी आयु के लिए निर्जल व्रत रखती है। महिलाएं करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक रखती हैं। ये व्रत बहुत कठोर और मुश्किल होता है इसमें खाना तो दूर की बात पानी की एक बूँद भी नहीं पी सकते। इसे सुहागन का त्यौहार कहा जाता है लेकिन विवाहित लड़कियां भी मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए इस त्योहार को मनाती हैं।
करवा चौथ का त्यौहार हिंदू धर्म में पुरे भारत विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाता है, और उत्तरी भारत पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश में सबसे अधिक मनाया जाता है। यह त्यौहार पूर्णिमा के दिन (शरद पूर्णिमा) के 4 दिन बाद पड़ता है। 2021 में करवा चौथ बुधवार 4 नवंबर को है ; जो कार्तिक के हिंदू महीने में कृष्ण पक्ष चतुर्थी है।
Karwa Chauth 2023 Date in India Calendar – करवा चौथ 2023 डेट कलैंडर
Karva Chauth 2022 – बुधवार – 4 नवंबर
उपवास समय, चंद्रमा-उदय समय और पूजा का मुहूर्त
करवा चौथ के पूजा का समय चंद्रमा के उदय के समय पर निर्भर करता है। इसलिए, विभिन्न स्थानों में, इसकी पूजा का समय अलग-अलग हो सकता है।
करवा चौथ पूजा का दिल्ली में मुहूर्त (2022)
पूजा मुहूर्त – शाम 05:34 से शाम 06:52 तक
अवधि – 01 घंटा 18 मिनट
उपवास का समय – सुबह 06:35 से सुबह 08:12 तक
अवधि – 13 घंटे 37 मिनट
चन्द्रोदय – सुबह 08:12 बजे
मुंबई में करवा चौथ का मुहूर्त (2022)
पूजा मुहूर्त – शाम 06:04 से शाम 07:19 तक
अवधि – 01 घंटा 16 मिनट
व्रत का समय – सुबह 06:40 से सुबह 08:52 तक
अवधि – 14 घंटे 11 मिनट
चन्द्रोदय – सुबह 08:52
अहमदाबाद में करवा चौथ का मुहूर्त (2022)
पूजा मुहूर्त – शाम 06:00 से शाम 07:16 तक
अवधि – 01 घंटा 17 मिनट
उपवास का समय – सुबह 06:46 से सुबह 08:44 तक
अवधि – 13 घंटे 58 मिनट
करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय – सुबह 08:44
करवा चौथ 2021 – 2025 तक, Karwa Chauth 2020 to 2025 Dates
- Karva Chauth 2021- रविवार – 24 अक्टूबर
- Karva Chauth 2022 – गुरुवार – 13 अक्टूबर
- Karva Chauth 2023 – बुधवार – 1 नवंबर
- Karva Chauth 2024 – रविवार – 20 अक्टूबर
- Karva Chauth 2025 – शुक्रवार – 10 अक्टूबर
करवा चौथ की कहानी (कथा): Story of Karva Chauth
वैसे तो बहुत सी कहानियाँ है करवा चौथ से जुडी हुई उन फेमस कहानियाँ में से कुछ कहानियाँ मै बताने जा रहा हु।
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रानी वीरवती की कहानी (कथा): Story of Queen Veeravati
एक बहुत पुरानी कथा है कहा जाता है की एक सुंदर रानी वीरवती थी जो सात भाइयों की एकमात्र बहन थी। सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। जब करवा चौथ का त्यौहार आया तो वीरवती ने भी व्रत रखा उस दिन वो व्रत रखने में असमर्थ थी फिर भी वो किसी तरह से ये व्रत नहीं तोरना चाहती थी। उसके भाइयों ने रात में उसके साथ रात का भोजन करने को कहा, लेकिन उसने चंद्रोदय से पहले कुछ भी खाने से इनकार कर दिया। उसके भाई उसे बहुत प्यार करते थे और अपनी बहन को उपवास की कठोरता नहीं देख पा रहे थे।
तब भाइयों ने पीपल के पेड़ के पत्तों के माध्यम से आग की मदद से दर्पण जैसी छवि बनाई और अपनी बहन से बोला चाँद उग गया है अपना व्रत तोड़ लो। बहन ने व्रत तोड़ा और खाना खाया। जब रानी ने अपना रात का खाना खाया, उसे खबर मिली कि उसके पति की मौत हो चुकी है। रानी वीरवती ने अपने पति के शव को रखी रही और उसके शव पर उगने वाले घाँस को हटतीं रही। फिर से करक चतुर्थी आया और रानी ने इस बार करवा चौथ का पुरे बिधि विधान से पालन किया और व्रत रखा।
जिसके फलस्वरूप उसे उसका पति दुबारा मिल गया।
Karwa Chauth 2023
महाभारत (Mahabharata) से करवा चौथ का सम्बन्ध: The relation of Karva Chauth with Mahabharata
महाभारत इस दिन को उस समय से जोड़ता है जब अर्जुन नीलगिरि में गए थे, अन्य पांडवों को अकेला छोड़कर। अर्जुन के अनुपस्थिति में पांडवो को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा और उनकी मदद करने के लिए, द्रौपदी ने भगवान कृष्ण से प्रार्थना की और भगवन श्री कृष्ण ने द्रोपदी को अपने पतियों की भलाई के लिए करवा चौथ का व्रत रखने के लिए कहा। द्रोपदी ने भगवन श्री कृष्ण के निर्देशों के अनुसार सभी अनुष्ठानों का पालन किया, और इससे पांडवों को सभी समस्याओं को दूर करने में मदद मिली।
करवा चौत का इतिहास और कहानिया
सत्यवान और सावित्री की कहानी: Story of Satyavan and Savitri
एक बहुत ही जरूरी कहानी करवा चौथ से जुडी है जब यमराज, सत्यवान के जीवन को प्राप्त करने के लिए आए, तो सावित्री ने यम के सामने उन्हें जीवन दान देने के लिए भीख मांगी। लेकिन यमराज नहीं मने और वो अड़े रहे, और सावित्री ने खाना-पीना बंद कर दिया और अपने पति को ले जाने के बाद यम का पालन करने लगी।
सावित्री ने यमराज को मजबूर कर दिया की उसे कोई वरदान दे यमराज ने कहा कि वह अपने पति के जीवन को छोड़कर किसी और वरदान मांग ले। सावित्री ने कहा मुझे अपने बच्चे के साथ आशीर्वाद चाहिए। सावित्री पत्नीव्रता और निष्ठावान पत्नी थी और किसी भी तरह की व्यभिचार नहीं होने देगी। आखिर कर सावित्री ने यमराज को मजबूर कर दिया की उसके पति के जान को बापस कर दे ताकि सावित्री के बच्चे हो सकें।
करवा चौथ के अनुष्ठान (Rituals of Karva Chauth)
अब हम करवा चौथ के सम्पूर्ण अनुष्ठान को जानेगे जैसे करवा चौथ में मेहंदी का महत्त्व, सरगी, बाया और श्रृंगार आदि।
करवा चौथ मेहंदी का महत्व (Importance of Karva Chauth Mehndi)
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Karwa Chauth 2022 In Hindi, Karaka Chaturthi |
करवा चौथ के दिन व्रत रखने वाली महिलाओ को मेंहदी लगाना एक ऐसी चीज है जिसे वे करवा चौथ में नहीं छोड़ सकते। हिंदू में, यह माना जाता है कि व्रत के दौरान मेंहदी लगाने से दीर्घायु में वृद्धि होती है, आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है और पतियों की प्रजनन क्षमता को तेज करता है। मेहंदी के कला उन राज्यों पर निर्भर करते हैं, जो वे अपनाते हैं, वे जिस संस्कृति का पालन करते हैं, वे जिस क्षेत्र में हैं।
करवा चौथ सरगी (karva chauth sargi)
सरगी सबसे पहला अनुष्ठान है जो सूर्योदय से पहले सुबह में किया जाता है। एक विशेष थाली के हर खाद्य पदार्थ को गुलाब देना – विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों और व्यंजनों को पकड़ना चूँकि वे सूर्योदय के बाद पानी का घूंट भी नहीं पी सकते हैं। चंद्रमा को देखने के बाद ही अपना उपवास तोड़ सकते हैं।
करवा चौथ बाया (karva chauth bya)
भारत के कुछ क्षेत्रों में, सास-ससुर द्वारा इस त्योहार पर अपनी बहू को एक अनोखा उपहार भेजने का एक परंपरा है। सास इसमें किसी भी तरह का उपहार दे सकती है जो उसे अच्छा लगे।
करवा चौथ में श्रृंगार का महत्त्व: Importance of makeup on Karva Chauth
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Karwa Chauth 2022 In Hindi, Karaka Chaturthi |
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करवा चौथ में महिलाओं को अपना सोलह श्रृंगार करना बहुत जरूरी होता है ताकि एक सुहागन दिख सके। हर सुहागन को अपना पूरा सोलह श्रृंगार करना जरूरी होता है, ताकि वो आकर्षक दिख सके।
Karva Chauth Vrat Katha- करवा चौथ व्रत कथा
अपने करवा चौथ के पूजा को करने से पहले सुहागन वह मौजूद लोगो को व्रत की कथा बताती है। ताकि सभी लोगो को करवा चौथ के महत्त्व का पता चल सके। इसके बाद कुछ रस्मों और अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है।
शाम को चांद को देखना (watching the moon in the evening)
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Swami Vivekananda Quotes/Jeevni
चाँद के उगने का इंतज़ार करना चंद्रमा की एक झलक पाने के लिए के लिए बेसब्र होना। व्रत रखने वाली महिला अपने पति की लंबी आयु और समृद्धि के लिए चमकते चंद्रमा का ध्यान रखती है।
Karwa Chauth 2022
करवा चौथ व्रत प्रक्रिया, Karva Chaut Essay
करवा चौथ केवल उपवास रखने का त्यौहार नहीं है। इसके साथ बहुत सारे अनुष्ठान जुड़े हुए हैं। इसकी तैयारी बहुत पहले शुरू हो जाती है। महिलाएं अपने लिए कपडे , शिंगार के सामान, गहने अदि खरीदती हैं। वे पूजा के लिए करवा यानी मिट्टी के बर्तन, छलनी, मठरी आदि भी खरीदते हैं।
एक दिन पहले, महिलाएं अपनेरखने हाथों को सुंदर मेहंदी डिजाइनों से सजाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि मेंहदी का रंग जितना गहरा होता है, उतना ही गहरा पति उससे प्यार करता है। करवा चौथ की मेहंदी को शुभ माना जाता है; यह समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक है।
करवा चौथ के दिन महिलाएं जल्दी उठती हैं और सूरज उगने से पहले खाते हैं। सास या घर के किसी बड़े व्यक्ति द्वारा सरगी दी जाती है। यह एक तरह की सेंवई की खीर होती है जिसे पंजाबी सरगी कहते है। इस दिन सुहागन महिलाये खुद को सजती है अपना सोलह श्रृंगार करती है।
इस दिन महिलाये नई चूड़ियाँ पहनती हैं। वे सूरज के दिखने से लेकर चाँद दिखने तक उपवास रखती हैं। शाम को विवाहित महिलाएँ मंडली में बैठती हैं और एक दूसरे को थालियाँ देती हैं। करवा चौथ की कहानी सुनाई जाती है। महिलाएँ भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करती हैं और दस मिट्टी के बर्तन (करवास) मिठाई से भर देती हैं। अनुष्ठान पूरा होने के बाद, इन करवों को बेटियों और बहनों के बीच बाँट देती है।
महिलाये चाँद के दर्शन के बाद अपना उपवास तोड़ती हैं। महिलाएं छलनी से चाँद को देखती हैं और फिर अपने पति को देखती हैं। इसके बाद, पति अपनी पत्नी को पानी का पहला घूंट और कुछ मीठा देते हैं। यह भी माना जाता है कि करवा चौथ रखने वाले वैवाहिक जीवन का आनंद लेते हैं। यह भी कहा जाता है कि छलनी के माध्यम से पति को देखने से पति पर आने वाले सभी बुरे प्रभावों को दूर करता है।
Karwa Chauth 2023
सम्पूर्ण विधि करवाचौथ के लिए : Complete method for Karva Chauth
- सुबह नित्यकर्म से निवृत्त होकर संकल्प लें और व्रत की शुरुआत करें।
- उपवास के दिन जलपान न करें।
- सुबह पूजा में इस मंत्र के जाप के साथ उपवास शुरू किया जाता है – म मम सुखसौ सर्व पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करत चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये। ‘
- घर के मंदिर की दीवार पर पट्टिका बनाकर चावल को पीस लें। इसके बाद इस घोल को तैयार करें। इस अनुष्ठान को करवा धरना कहा जाता है।
- करवा चौथ की शाम को, माँ पार्वती की मूर्ति की गोद में बैठाकर श्रीगणेश को एक लकड़ी की चौकी पर बैठाये।
- मां पार्वती की मूर्ति अच्छे से सजाये उनका श्रृंगार करें।
- इस दिन शिव और माता पार्वती की पूजा करें और करवे में जल भरकर उनकी पूजा करें।
- इस दिन उपास रखें और करवा चौथ की कथा सुनाये।
- शाम को चाँद देख लेने के बाद ही अपने पति द्वारा भोजन और पानी लें।
- पति, सास, और घर के सभी बड़ो का आशीर्वाद लेकर व्रत समाप्त करें ।
Karwa Chauth 2023
करवा चौथ या करक चतुर्थी का महत्व
माना जाता है की इस त्योहार को युद्ध में सैनिकों के लंबे आयु के लिए प्रार्थना के रूप में मनाया जाता था, और आज सभी विवाहित महिलाएं अपने पति के लंबे जीवन के लिए ये व्रत रखती है।
करक चतुर्थी त्योहार के कई महत्व है। करवा चौथ प्रेम और संबंध का प्रतीक है; न केवल पति-पत्नी के बीच बल्कि पुरे परिवार के साथ भी। यह व्रत विवाहित महिलाओं को ससुराल में महत्व की पहचान कराता है। करवा चौथ का व्रत एक विवाहित महिलाओं के लिए एक पर्व है; अपने जीवन साथी के प्रति उसके प्यार और समर्पण को प्रदर्शित करने के लिए।
वैसे तो करवा चौथ एक विवाहित स्त्रियों का त्यौहार है लेकिन इसे अविवाहित लड़कियां मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए इस त्यौहार को करती हैं।
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